Friday, June 3, 2011

मानसिक आंदोलने झेलताना


भावना जपताना
मने करपली जातात
नापिक जमिनीत बरसला तो
केवल ओलावा उपयोगी पडेल ?
------------
जनता भरडली जाते आहे ....
उपोषण करणारे
सुखावले जातात
कशाची ही सुरवात ?
------------------------
काल बरसला तो
भिजुनही गेला
धारा मात्र मनातल्या
तशाच बरसत राहिल्या
--------------------------
ढग भरलेले ...मन उदास
चुकून उन्हाचे ..कवडसे
अंगांत घाम.. विरलेले थेंब
आशेचा किरण ..प्रकाशाचे गीत
--------------------------
उन्हाची झळ
पाण्याची तहान
सावलीची माया
पोटाची भूक
आसुसलेली धरणी
-------------------
दूर गेलास की वाटते जवळ असावे
जवळ आलास की काय बोलू असे ?

ही हुरहुर की मानसिक आंदोलने?
----------------------------
आज असणारा उद्या गेला
काय वाटत असेल ?
---------------
साहित्य माणसाला विचार देते
विचार मनात प्रेरणा निर्माण करते
---------------
मानसिक शांतता आली
तरच खरे सुख अनुभवता येते
-------------------------------


subhash inamdar, PUne
9552596276

Please react to me

subhashinamdar@gmail.com

No comments: